कुत्तों में लगाये जाने वाले टीके

आजकल नॉन एडजूवेन्ट वैक्सीन (अर्थात जीवाणुओं के साथ मिनरल ऑयल मिला दिया जाता है जिससे प्रतिरोधक क्षमता तेजी से विकसित होती है) का अधिक प्रयोग होता है। क्योंकि एडजूवेन्ट वैक्सीन से रियक्सन हो जाते है।

वैक्सीनेशन की विधि

वैक्सीन या तो खाल के नीचे लगाया जाता है या फिर मांस में लगाया जाता है। और कुछ वैक्सीन तो नाक में डाल दिये जातेहै।

वैक्सीनेशन का स्थान

जैसा कि अमेरिका में रैबीज का वैक्सीनेशन पिछली टांग में कियाजाता है। अधिकतर वैक्सीन खाल के नीचे या गले या पेट की खाल के नीचे लगाते है। परन्तु कंधे पर इसको नहीं लगाते है।और जहां पहले वैक्सीन लगा दिया वहां वैक्सीन नहीं लगाते है।

कोर या मुख्य वैक्सीन

  1. रैबीज
  2. कैनाइन डिस्टैम्पर वैक्सीनकैनाइन हिपेटाइटिस या कैनाइन एडिनो टू वायरस वैक्सीन जिसे CAV2 कहते है।
  3. सबसे भयंकर बीमारी पारवो की वैक्सीन जिसे CAV2 कहते है।

नॉन कोर वैक्सीन

विशेष भौगोलिक स्थिति के आधार पर ही लगाई जाती है।

  1. कैनाइन पैरा इनफ्रलंजा
  2. लाइम की बिमारी की वैक्सीन
  3.  लिप्टोस्पारिसिस

कुछ वैक्सीन कुछ कुत्तों में नहीं लगाई जाती है।

  1. करुणावरस
  2. एडिनोवायरस
  3. ग्याडिया

बुस्टर

कुत्ते या आदमी के छोटे बच्चे में एक बार टीकाकरण करने पर एंटीबॉडी का लेबल रोग से लड़ने की क्षमता नहीं रखता इसलिए उसे 1 माह बाद फिर से टीकाकरण करना पडता है। उसके बाद जीवन पर्यान्त या 1 वर्ष तक एंटीबॉड़ी का स्तर रोग से लड़ने की क्षमता रख सकता है। लेकिन एंटीबॉड़ी के बननेकी जांच करा ले।

विदेशों को कुत्ते वैक्सीनेशन के आधार पर नहीं जाते है। उनके लिए एंटीबॉड़ी की उपस्थ्ति का प्रमाण पत्र आवश्यक है। टेलीविजन (टी.वी.) में आपने अमिताभ बच्चन को यह कहते हुए अवश्य सुना होगा कि 1 माह बाद आप अपने बच्चे को पॉलियों की दवा अवश्य पिलायें। एक बार दवा पिलाने से सार्थक परिणाम नहीं निकलते है।

वैक्सीनेशन (Vaccination) करने का तात्पर्य यह नही होता है कि प्रतिरोधकक्षमता विकसित हो ही गई है। प्रतिरोधक क्षमता का प्रमाण रक्त में उपस्थित एंटीबॉडी और एंटीबॉडी के घनत्व से होती है। विदेशों में कुत्ता भेजने के लिए एंटीबॉडी की उपस्थिति एवं उसके घनत्व के प्रमाण का परिक्षण का प्रमाण पत्र आवश्यकहै। और यह प्रमाण पत्र इंग्लैंड की प्रयोगशाला से ही प्राप्त होता है।

वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र पशु चिकित्सक द्वारा दिये जाने को वैध नही माना जाता है। इंग्लैंड की प्रयोगशाला द्वारा दिया गया एंटीबॉडी होने का प्रमाण पत्र ही मान्य है। यदि आपके कुत्ते में 1 वर्ष बाद भी एंटीबॉडी की उपस्थिति तथा घनत्व ठीक है। तो उसका टीकाकरण आवश्यक नही है। टीकारण कराने से कभी-कभी  रियक्सन होकर कुत्ता मर भी सकता है।

सीरम

यह बनी बनाई हुई एंटीबॉडी होती है। कुत्ते को सांप के काटने पर सीरम लगाई जाती है।

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Comments ( 6 )
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  • Surendra

    kaise kare vaccination

  • प्रमोद कुमार उपाध्याय

    मेरा कुत्ता 3 मंथ का है उसे कौन सा टीका लगवाए एंटी रैबीज़ या कुछ और कृपया बताएं

    • Neeraj rana

      Mera dogi pug h Jo ki 31 days ka hua h usko kon sa tika Karan karaye

    • Parveen kumar

      Mere pass 3 month old lebra h kon sa tika lagana h please bataye

  • aashish

    mere pass lebra h,1 month ka to usko injection kab or kon sa lgega ?

  • मुकेश कुमार शर्मा

    जर्मन शेफर्ड पप्पी उम्र 45 दिन के कौन कौन से टीके लगाए जाएं और उनकी क्या प्राइस मार्केट में होगी