पशु आवास के बारे में जानकारी


मौसम की मार देशी गायें तो आम तौर पर झेल जाती हैं। मगर संकर गायों के लिए यह मौसमी-मार अझेल है। खास तौर से गर्मी व उमस में तो उनकी शामत ही आ जाती है। वे सुस्त और अन्ततः बीमार पड़ जाती हैं। चारा खाना कम कर देती हैं। दूध घटा देती हैं।

कभी-कभी तो बढ़ती गर्मी और उमस उनकी जान भी ले लेती है। उन्हें जिन्दगी भर के लिए बांझ तक बना देती हैं। न उनमें दूध देने की काबिलियत रह जाती है और न गाभिन होने की। जाहिर है गर्मी उनके लिए खतरनाक है और उमस इस खतरे को और बढ़ा देती है। इसलिए इससे बचाव बहुत जरूरी है। विज्ञान ने हमारी यह उलझन आज आसान कर दी है। अब हम आसानी से तापक्रम व हवा में आर्द्रता नाप सकते हैं और उन्हें बचा सकते हैं। जिस तरह दूध नापने के लिए पैमाना ‘लीटर’ होता है उसी तरह तापक्रम व आर्द्रता नापने के भी पैमाने हैं। तापक्रम और आर्द्रता के इन पैमानों पर हम आगे विस्तार से जानेंगे। फिलहाल गर्मी व उमस की चर्चा करेंगे। खास तौर से संकर पशुओं के लिए तापक्रम विशेष महत्त्व रखता है। जानवरों को गर्मी ज्यादा न लगे, उमस न सताये इसका विशेष ध्यान रखना होता है। गर्मी से उनका स्वास्थ्य और दूध उत्पादन तो  होता ही है, साथ ही इससे उनके बांझ होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ध्यान रहे गर्मी व उमस संकर गायों को बहुत ज्यादा सताती है। ऐसे में आपकी जरा सी लापरवाही आपके डेयरी उद्योग को चैपट कर सकती है। हम सब जानते हैं कि जानवरों के शरीर का तापक्रम 37-38 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। बाहरी वातावरण का तापक्रम ज्योंही 25 डिग्री सेंटीग्रेड से पर चढ़ता है इन जानवरों को बेचैनी होने लगती है। जैसे ही तापक्रम 30 डिग्री सेंटीग्रेड पर जाता है तो इनका दूध घटने लगता है। वे दाना-चारा खाना कम कर देते हैं। धीरे-धीरे उनमें थनेला व और दूसरे रोगों का प्रकोप शुरू हो जाता है। 40-45 डिग्री सेंटीग्रेड पर तो अधिक दूध देने वाली गायों की हालत बड़ी ही दयनीय हो जाती है।
बरसात की सड़ी गर्मी तो इनके लिए जान लेवा है। ऐसे में रोग और बढ़ जाते हैं। जो जानवर पहले ही खुरपका, मुंहपका रोग की चपेट में आ चुके हैं या पिफर जो पशु खून के परजीवियों से ग्रसित होकर बवेसिया, थिलेरिया आदि से पीड़ित हैं वे हमेशा 103 या 104 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम दर्शाते हैं। ऐसे पशुओं को ‘एंटीबायोटिक’ देने से समस्या और गंभीर हो जाती है। ध्यान रहे ऐसे पशु पर यदि थोड़ा पानी छिड़क कर उन्हें पंॅखे से हवा दी जाये तो उनका तापक्रम कम हो जाता है। ऐसे पशुओं को दाना रात के समय देना चाहिए, ऐसे पशुओं को तुरन्त किसी कुशल पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
ऐसे पशुओं को जो 400-500 किलोग्राम के हों, उन्हें पोटेशियम आयोडाइट 5 दिन तक देने से लाभ होते देखा गया है। जब वायुमण्डल का तापक्रम 20-22 डिग्री या इससे नीचे होता है, तो पशुओं को अधिक आर्द्रता का कोई पफर्क नहीं पड़ता। परन्तु इससे अधिक तापक्रम पर आर्द्रता बढ़ने से पशु तनाव में आ जाते हैं। जब आर्द्रता 80 प्रतिशत से पर होती है तथा तापक्रम भी 30 डिग्री से पर होता है तो उस समय पंॅखे भी ज्यादा असरकारी नहीं होते। ऐसे में पशुओं को पेड़ के नीचे या ऐसी जगह बांधना चाहिए जहां से चारों ओर से हवा का प्रवाह हो। 14 फीट से नीचे टीन की छत भी पशुओं के लिए गर्मी के मौसम में अत्यन्त दुखदायी होती है। संकर गायें 27 डिग्री सेंटीग्रेड से- 10 डिग्री तक आराम से रहती हैं। इन पर बारिश का कोई असर नहीं होता। बस इन्हें तेज धूप व गर्मी से बचाना आवश्यक है। इसलिए यदि थोड़े पेड़ हों, तो आप इन पशुओं को खुले में आराम से रख सकते हैं। याद रहे कि इन पशुओं को हमारी तरह जाड़ा नहीं लगता, परन्तु ये 25 डिग्री सेंटीग्रेड से पर के तापक्रम को सहन नहीं कर सकती। साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि पशुओं के बाड़े में चारों ओर से हवा का प्रवाह बना रहे।