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Cattle

पशुओं में कालाजार

इस बीमारी से हाथ व पैर की अंगुलियां सिरे से काली हो जाती हैं। यह परजीवी से फैलने वाली बीमारी है जो कि सैंड फ्लाई से होती है। इसका परजीवी पशुओं में रहता है और जब मक्खी सैंड फ्लाई पशुओं को काटकर मनुष्यों को काटती है, तो यह बीमारी मनुष्यों में भी फैल जाती है।

काॅफ इस्कोर बीमारी (calf scours)

इस बीमारी से डेरी उद्योग को बहुत नुकसान होता है। इसमें गाय के बच्चे को दस्त छूट जाते हैं और इस तरह शरीर में पानी की कमी होने से उसकी अक्सर मृत्यु हो जाती है। यहां यह जान लेना चाहिए कि इन बच्चों के शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है। पानी की कमी होने…

गाय में माता (पोक्स)

यह भी पशुओं से मनुष्य में फैलने वाली बीमारी है। इस रोग का इतिहास भी बड़ा रोचक है। इंग्लैण्ड में 1796 में कुछ गायों का दूध निकालने वाली औरतों ने डाॅक्टर एडवर्ड जीनर को एक दिन यह बताया कि उनको पाॅक्स की बीमारी नहीं होती, क्योंकि वे पाॅक्स से ग्रसित गायों के साथ रहती हैं। 

पशु में पेट फूलना (Flatulence and Bloat in Cow)

कभी-कभी पशु का पेट फूलना शुरू हो जाता है। इस पर समय से ध्यान नहीं दिया गया और उसे रोका न गया तो पशु मर भी सकता है। पेट फूलने का सीधा दबाव दिल पर पड़ता है। ऐसे में इमरजैंसी में अलसी का तेल पिलाएं एवं ब्लूटोसिल की एक बोतल पिलाएं। फिर उसे पशुचिकित्सक को…

ब्रूसिलोसिस

  यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों में फैल जाती है। तथा संक्रमित पशु का कच्चे दूध या कच्चे मांस से फैलता है।

रक्त के परजीवी ‘बबेसिया’ के कारण

फास्फोरस की कमी के कारण ‘ब्रेकन फर्ण’ को खा जाने से होता है। रक्त के परजीवी, बबेसिया का कारण– परजीवी बबेसिया के कारण गौ-मूत्र में रक्त आने पर पशु को काफी तेज बुखार आता है।

माविशियों में एनाप्लामोसिस बीमारी

यह बिमारी बुड्ढे जानवरों में अकसर पनप जाती हैं। इस रोग को होने में चार हफ्ते से छह हफ्ते लग जाते हैं। इसके लक्षण है बुखार आना और आँख व जीभ का पीला हो जाना। इस रोग में पशु जुगाली करना बंद कर देता है।

गर्भपात की समस्या (Abortion in Cattle)

डेरी पशुओं में गर्भपात की समस्या प्रायः गाय छठवें महीने में या तीसरे महीने में गर्भपात करती हैं। छठे महीने का गर्भपात ‘बूर्सेलोसिस’ की वजह से होता है। यह संक्रामक रोग है। इसलिए रोगी गाय को अन्य गायों से अलग रखना चाहिए। साथ ही उसके ‘जेर’ और उसके अविकिसित बच्चें को नंगे हाथों से नहीं…

अफ्रीका में साहिवाल नस्ल

उत्तरी अफ्रीका में यह नस्लकेन्या, जमाइका, ग्वाना, बुरूण्डी, सोमालिया, साहिरा, लोनी एवं नाइजीरिया में दूध तथा मांस के लिए प्रचलित हैं।केन्या में यह नस्ल 12 गायो तथा 60 सांडों से शुरू हुई जो कि 1939 और 1963 के बीच में आयात की गई। उत्तरी अफ्रीका में साहिवाल का प्रचलन कीनिया से ही होता है। केन्या...