पशु-आहार

 

 

पशुओं को चारा सामने से डालना चाहिए क्योंकि पशु जमीन से खाता है। और सामने इतनी जगह होनी चाहिए कि वहां ट्रैक्टर एक तरफ से घूसे तो दूसरी तरफ निकल सके, और वहां धूंप आनी चाहिए जिससे कि जीवाणु तथा फफूंदी न लग सके। खुले बाड़े में पशु स्वतंत्रता से रहते है। वह इच्छानुूसार धूप या छांव में बैठ सकते है। तथा चारा खायें या पानी पीयें।

प्लास्टिक खाना पशु के लिए हानिकारक होता है।

सब्जी मंडी में जो सब्जी मनुष्यों के खाने लायक नहीं रहती, पशु को खिलाना अच्छा होता है। फलों का जूस निकालने के बाद बचा गूदा भी पशुओं के लिए लाभदायक होता है और गूदा का सदुपयोग भी हो जाता है।

प्लास्टिक खाना पशु के लिए हानिकारक होता है।  आहार जितना पशुओं के स्वस्थ रहने और उनके शारीरिक विकास के लिए जरूरी है, उतना ही उनके दूध उत्पादन के लिए भी। जाहिर है जितना अच्छा और संतुलित उनका आहार होगा, उतना ही अच्छा वह दूध भी दे पायेंगे। आहार में लापरवाही सीधे-सीधे जानवरों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। आहार यदि अच्छा नहीं होगा तो वह कमजोर होंगे और तमाम रोग भी उन्हें घेर लेंगे। साथ ही उनके दूध से भी हम हाथ धो बैठेंगे। इसलिए यह आहार पौष्टिक और नियंत्रित होना नितांत जरूरी है। जानवरों के लिए जैसे कम आहार नुकसान देह है, ठीक उसी तरह जरूरत से ज्यादा आहार भी उन्हें नुकसान देता है। इसलिए यह ध्यान रखना भी जरूरी है, उनका आहार न कम हो और न ही ज्यादा।डेयरी पशुओं को कभी-कभी स्वादिष्ट, पाच्य सामान्य आहार के अलावा उसमें एंटी बायोटिक, खनिज लवण व हारमोंस आदि भी डाॅक्टरी सलाह से देते रहना चाहिये। इससे जानवरों में शारीरिक विकास के साथ-साथ रोगों से लड़ने की कूवत भी पैदा होती है। साथ ही वे दूध भी ज्यादा देने लगते हैं। पशुओं के आहार में दो मुख्य चीजें जरूरी हैं। पहला चारा भूसा आदि जो खूब रेशेदार हो और दूसरा दाना, जिसमें मक्का, जौं, ज्वार, बाजरा, दला हुआ चना व अन्य बीज आदि मिला हो। अब तो बाजार में भी चारा भूसा और दाना मिला अच्छा पौष्टिक आहार उपलब्ध हो जाता है।